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February 16, 2025
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क्या वक्फ बोर्ड के अधिकार कम करने की तैयारी में है केंद्र सरकार? जानिए इससे जुड़े हर सवाल का जवाब

क्या वक्फ बोर्ड के अधिकार कम करने की तैयारी में है केंद्र सरकार? जानिए इससे जुड़े हर सवाल का जवाब

नई दिल्ली : वक्फ बोर्ड को मिले असीमित अधिकारों को लेकर लंबे वक्त से विवाद होता रहा है। अब केंद्र सरकार वक्फ बोर्फ की शक्तियों को कम करने की तैयारी कर रही है। इसी हफ्ते संसद में इस संबंध में बिल पेश किया जा सकता है। इसमें वक्फ बोर्ड ऐक्ट में कई तरह के संशोधन किए जा सकते हैं। कैबिनेट ने वक्फ ऐक्ट में संशोधन के कई प्रस्तावों को मंजूरी दी है।

बिल में संशोधन कर वक्फ बोर्ड की तरफ से किए गए संपत्ति के दावों पर वेरिफिकेशन जरूरी बनाया जा सकता है। साथ ही वक्फ बोर्ड की विवादित संपत्तियों के लिए वेरिफिकेशन जरूरी किया जा सकता है। 1954 में केंद्र सरकार ने वक्फ बिल पारित किया था और फिर 1964 में केंद्रीय वक्फ काउंसिल बनी। 1995 में हर राज्य और केंद्रीय शासित प्रदेशों में वक्फ बोर्ड के गठन की इजाजत देने के लिए कानून में संशोधन किया गया। 2013 में तत्कालीन UPA सरकार ने एक्ट में संशोधन कर वक्फ बोर्ड की शक्तियां और बढ़ा दी थीं। वक्फ बोर्ड के पास 8.50 लाख से ज्यादा संपत्तियां हैं, जो करीब 9.4 लाख एकड़ एरिया में हैं।

इससे पहले भी केंद्र की NDA सरकार ने राज्य वक्फ बोर्ड को किसी भी संपत्ति पर दावा करने के लिए व्यापक अधिकार दिए जाने के बारे में संज्ञान लिया था। ज्यादातर राज्यों में ऐसी संपत्ति के सर्वेक्षण में देरी का भी सरकार ने संज्ञान लिया था। पिछली NDA सरकार में वक्फ संपत्तियों के दुरुपयोग को रोकने के लिए निगरानी की प्रक्रिया में डिस्ट्रिक्ट मैजिस्ट्रेट को भी शामिल करने पर विचार किया गया था। तब भी यह कहा गया था कि विवादित संपत्ति के मामले में अपील प्रकिया में भी खामी है। बिल में संशोधन के जरिए वक्फ बोर्ड की संपत्तियों को सीमित किया जाएगा। साथ ही बोर्ड के स्ट्रक्चर में भी बदलाव किया जा सकता है और इसमें ज्यादा महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित की जा सकती है। वक्फ बोर्ड वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन करता है। वक्फ मुस्लिम समुदाय द्वारा दान में दी गई संपत्ति होती है। वक्फ संपत्ति और इस संपत्ति से हुए मुनाफे का प्रबंधन राज्य के वक्फ बोर्ड करते हैं। इसे लेकर विवाद भी शुरू हो गया है।

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कुछ जरूरी सवाल और उनके जवाब
सवाल: ऐक्ट में क्या हो सकता बदलाव ?
जवाब: बिल के जरिए संशोधन कर वक्फ बोर्ड की तरफ से किए गए संपत्ति के दावों पर वेरिफिकेशन जरूरी बनाया जा सकता है। साथ ही वक्फ बोर्ड की विवादित संपत्तियों के लिए वेरिफिकेशन जरूरी किया जा
सकता है।

सवाल: पहली बार कब आया था वक्फ बिल?
जवाब:1954 में केंद्र सरकार ने वक्फ बिल पारित किया था और फिर 1964 में केंद्रीय वक्फ काउंसिल बनी। 1995 में हर राज्य और केंद्रीय शासित प्रदेशों में वक्फ बोर्ड के गठन की इजाजत देने के लिए कानून में संशोधन किया गया। 2013 में तत्कालीन UPA सरकार ने एक्ट में संशोधन कर वक्फ बोर्ड की शक्तियां और बढ़ा दी थीं।

सवाल: बोर्ड के पास कितनी संपत्तियां?
जवाब: वक्फ बोर्ड के पास 8.50 लाख से ज्यादा संपत्तियां हैं, जो करीब 94 लाख एकड़ एरिया में हैं। संशोधन के जरिए वक्फ बोर्ड की संपत्तियों को सीमित किया जाएगा। साथ ही बोर्ड के स्ट्रक्चर में भी बदलाव किया जा सकता है और इसमें ज्यादा महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित की जा सकती है।

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सवाल: कैसे मिलती है संपत्ति ?
जवाब: वक्फ बोर्ड वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन करता है। वक्फ मुस्लिम समुदाय द्वारा दान में दी गई संपत्ति होती है। वक्फ संपत्ति और इस संपत्ति से हुए मुनाफे का प्रबंधन राज्य के वक्फ बोर्ड करते हैं। इसे लेकर विवाद भी शुरू हो गया है।

सवाल: NDA सरकार ने पहले क्या थे उठाए थे कदम ?
जवाब: इससे पहले भी केंद्र की NDA सरकार ने राज्य वक्फ बोर्ड को किसी भी संपत्ति पर दावा करने के लिए व्यापक अधिकार दिए जाने के बारे में संज्ञान लिया था। ज्यादातर राज्यों में ऐसी संपत्ति के सर्वेक्षण में देरी का भी सरकार ने संज्ञान लिया था। पिछली NDA सरकार में वक्फ संपत्तियों के दुरुपयोग को रोकने के लिए निगरानी की प्रक्रिया में डिस्ट्रिक्ट मैजिस्ट्रेट को भी शामिल करने पर विचार किया गया था।

वक्फ की ऑटोनमी छीनना चाहती है सरकार : ओवैसी
AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि इस ऐक्ट में संशोधन को लेकर जो कहा जा रहा है उससे यह लगता है कि केंद्र सरकार वक्फ बोर्ड की ऑटोनमी छीनना चाहती है और उसमें दखल देना चाहती है। उन्होंने कहा कि यह धर्म की स्वतंत्रता के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि BJP हमेशा से इस बोर्ड और वक्फ की संपत्तियों के खिलाफ रही हैं और उनका हिंदुत्व का अजेंडा है।

राय लेने के बाद ही संशोधन : AIMPLB
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) के सदस्य मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा कि सरकार को कोई भी संशोधन करने से पहले स्टेकहोल्डर्स से बात कर उनकी राय लेनी चाहिए। मौलाना महली ने कहा, ‘हमारे पूर्वजों ने अपनी संपत्ति का एक बड़ा हिस्सा दान किया है और उन्होंने इसे इस्लामी कानून के तहत वक्फ बना दिया। जहां तक वक्फ कानून का सवाल है, संपत्ति का इस्तेमाल केवल धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए किया जाना चाहिए। यह कानून है कि एक बार जब कोई संपत्ति वक्फ की बन जाती है, तो उसे बेचा या ट्रांसफर नहीं किया जा सकता। हमें नहीं लगता कि इस वक्फ ऐक्ट में किसी भी तरह का संशोधन करने की जरूरत है।’ उन्होंने कहा कि वक्फ संपत्तियों का लगभग 60से 70% हिस्सा मस्जिदों, दरगाहों और कब्रिस्तानों के रूप में है।

क्या संशोधन गरीबों के हक में?
BJP सूत्रों का कहना है कि इस संशोधन की तैयारी लोकसभा चुनाव से पहले से ही हो गई थी। पिछली सरकार में भी इसे लेकर कई बार चर्चा हुई। यह कहा जा रहा है कि सऊदी अरब सहित किसी भी इस्लामिक देशों में इस तरह की संस्था को इतनी असीमित शक्तियां नहीं दी गई हैं। BJP इन संशोधनों को गरीब मुस्लिमों के हक में बता रही है। एक नेता ने कहा कि किसी की संपत्ति को अगर वक्फ बोर्ड वक्फ की संपत्ति मानता है तो विवाद होने पर फैसला भी वक्फ बोर्ड ही करता है, जिससे गरीब मुस्लिम का हक मारा जाता है। असीमित शक्तियों को कंट्रोल करना गरीबों के हक का फैसला होगा।

पूनम पाण्डे

लेखक के बारे में

पूनम पाण्डे

पूनम पाण्डे नवभारत टाइम्स में असिस्टेंट एडिटर हैं। वह बीजेपी, आरएसएस और राष्ट्रीय सुरक्षा के मामले कवर करती हैं।… और पढ़ें

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