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January 21, 2025
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चंद्रमा पर जहां उतरे नील आर्मस्ट्रांग, वहां मिली बड़ी गुफा, बनेगी अंतरिक्ष यात्रियों का ठिकाना

चंद्रमा पर जहां उतरे नील आर्मस्ट्रांग, वहां मिली बड़ी गुफा, बनेगी अंतरिक्ष यात्रियों का ठिकाना

न्यूयॉर्क: वैज्ञानिकों ने चंद्रमा पर एक गुफा होने की पुष्टि की है। यह गुफा उस स्थान से ज्यादा दूर नहीं है जहां 55 वर्ष पहले नील आर्मस्ट्रांग और बज एल्ड्रिन उतरे थे। वैज्ञानिकों के अनुसार, वहां सैकड़ों और गुफाएं हो सकती हैं जिनमें भविष्य में अंतरिक्ष यात्री आश्रय ले सकते हैं। इतालवी वैज्ञानिकों के नेतृत्व में एक टीम ने सोमवार को बताया कि चंद्रमा पर एक बड़ी गुफा होने के सबूत मिले हैं। यह अपोलो 11 के लैंडिंग स्थल से महज 250 मील (400 किलोमीटर) दूर सी ऑफ ट्रैंक्विलिटी में स्थित है।

लावा ट्यूब ढहने से बना था गड्ढा

यह गड्ढा, वहां खोजे गए 200 से अधिक अन्य गड्ढों की तरह, एक लावा ट्यूब के ढहने से बना था। शोधार्थियों ने नासा के लूनर रिकॉनिसेंस ऑर्बिटर द्वारा रडार मापों का विश्लेषण किया और पृथ्वी पर लावा ट्यूबों के साथ परिणामों की तुलना की। उनके निष्कर्ष ‘नेचर एस्ट्रोनॉमी’ पत्रिका में प्रकाशित हुए हैं। इसके लिए शोध टीम ने नासा के लूनर रिकॉनेसेंस ऑर्बिटर (LRO) द्वारा एकत्र किए गए रडार डेटा का विश्लेषण किया था।

80 मीटर लंबी है गुफा

निष्कर्षों से पता चलता है कि मारे ट्रैंक्विलिटिस गड्ढा, चंद्रमा पर सबसे गहरा ज्ञात गड्ढा है, जो लगभग 45 मीटर चौड़ी और 80 मीटर तक लंबी एक गुफा की ओर जाता है। यह गुफा, जो चंद्रमा की सतह से लगभग 150 मीटर नीचे स्थित है, क्षेत्रफल में लगभग 14 टेनिस कोर्ट के बराबर है। इटली के ट्रेंटो विश्वविद्यालय के लोरेंजो ब्रुज़ोन ने गुफा को “संभवतः एक खाली लावा ट्यूब” के रूप में वर्णित किया। उन्होंने यह सुझाव देते हुए कहा कि ऐसी विशेषताएं भविष्य के चंद्र खोजकर्ताओं के लिए प्राकृतिक आश्रय के रूप में काम कर सकती हैं।

अंतरिक्ष यात्रियों को मिलेगा ठिकाना

ये भूमिगत संरचनाएं चंद्रमा के कठोर वातावरण से सुरक्षा प्रदान कर सकती हैं, जिसमें ब्रह्मांडीय किरणें, सौर विकिरण और माइक्रोमेटेओराइट शामिल हैं, जबकि अंदर अपेक्षाकृत स्थिर तापमान बनाए रखते हैं। चंद्र गुफाएं 50 से अधिक वर्षों से एक रहस्य बनी हुई हैं।रिपोर्ट के अनुसार, ट्रेंटो विश्वविद्यालय के लियोनार्डो कैरर और लोरेंजो ब्रुज़ोन ने एक ईमेल में लिखा, “आखिरकार एक के अस्तित्व को साबित करने में सक्षम होना रोमांचक था।”

प्रियेश मिश्र

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प्रियेश मिश्र

नवभारत टाइम्स डिजिटल में डिजिटल कंटेंट राइटर। पत्रकारिता में दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, अमर उजाला जैसी संस्थाओं के बाद टाइम्स इंटरनेट तक 5 साल का सफर जो इंदौर से शुरू होकर एनसीआर तक पहुंचा है पर दिल गौतम बुद्ध की महापरिनिर्वाण स्थली कुशीनगर और गोरक्षनाथ की धरती गोरखपुर में बसता है। देश-विदेश, अंतरराष्ट्रीय राजनीति/कूटनीति और रक्षा क्षेत्र में खास रुचि। डिजिटल माध्यम के नए प्रयोगों में दिलचस्पी के साथ सीखने की सतत इच्छा।… और पढ़ें

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