इस्लामाबाद: पाकिस्तान के पूर्व केयरटेकर वित्त मंत्री और वर्ल्ड बैंक में उपाध्यक्ष रह चुके शाहिद जावेद बुखारी का कहना है कि दुनिया में अब चार ध्रुव बन गए हैं, इन चार ध्रुवों में से एक भारत है। बाकी तीन ध्रुव अमेरिका, चीन और रूस हैं। शाहिद बुखारी ने पाक अखबार एक्सप्रेस ट्रिब्यून में अपने लेख में ये बात कही है। बुखारी लिखते हैं, ‘मैंने बहुध्रुवीय (मल्टीपोलर) शब्द तब गढ़ा था जब मैं विश्व बैंक में काम करता था और उस समय संस्था के अध्यक्ष टॉम क्लॉसन के टोक्यो भाषण का मसौदा तैयार किया था। विश्व व्यवस्था को बताने के लिए ‘बहुध्रुवीय’ शब्द का उपयोग करने के लिए मुझे द इकोनॉमिस्ट में फटकार लगाई गई थी। पत्रिका ने लिखा था कि दुनिया में केवल दो ध्रुव हैं, उत्तर और दक्षिण। इसके बावजूद मेरे शब्द ने लोगों का ध्यान खींचा और अब इसका इस्तेमाल खूब किया जा रहा है।’
शाहिद बुखारी कहते हैं, ‘दुनिया के चार ध्रुवों में से दो पाकिस्तान के पड़ोसी हैं और भारत उन चार ध्रुवों में से एक बन गया है, जिसके इर्द-गिर्द विकासशील विश्व व्यवस्था का निर्माण हो रहा है। यह बात अमेरिका और रूस के नई दिल्ली को लुभाने के तरीके से दिखती है। दोनों के लिए भारत ने चीन की उभरती हुई शक्ति के लिए एक अच्छा प्रतिपक्ष प्रस्तुत किया, जो अब एक तेजी से बढ़ती आर्थिक और सैन्य शक्ति है।
रूस दौरे को अहम मानते हैं बुखारी
बुखारी कहते हैं कि इसी महीने 9 और 10 जुलाई को मोदी की मेजबानी रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने की। पुतिन-मोदी की बैठक नाटो देशों के राष्ट्राध्यक्षों की वॉशिंगटन बैठक के साथ हुई। अमेरिकी विदेश विभाग ने भारत-रूस बैठक के समय की सराहना नहीं की। विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने कहा कि हमने भारत के साथ रूस के साथ उनके संबंधों के बारे में अपनी चिंताओं को बता दिया है। यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की ने भी मोदी-पुतिन बैठक की आलोचना की। इसके बावजूद वह भारत से दूर नहीं हो पा रहा है। दरअसल चीन वह वजह है, जिससे मोदी रूस के करीब रहकर भी अमेरिका से संबंध रख पा रहे हैं।
बुखारी आगे लिखते हैं, ‘2030 तक भारत-रूस वार्षिक व्यापार की मात्रा को 100 बिलियन डॉलर तक बढ़ाने के अपने लक्ष्य की घोषणा की। मॉस्को में बढ़ते भारतीय प्रवासियों को संबोधित करते हुए भारतीय प्रधानमंत्री ने येकातेरिनबर्ग और कजान में नए वाणिज्य दूतावास खोलने की घोषणा की। यह पाकिस्तान के लिए अच्छी खबर नहीं है, जहां सुरक्षा सेवाओं का मानना है कि भारत रूस में अपने वाणिज्य दूतावास की मौजूदगी का इस्तेमाल बलूचिस्तान के अशांत प्रांत में परेशानी पैदा करने के लिए करता है।’
मोदी ने साधे कई निशाने
बुखारी का मानना है कि रूस की अपनी यात्रा के पीछे मोदी के कई उद्देश्य थे, जिनमें से एक मॉस्को को यह दिखाना था कि भारत को अमेरिका में बिडेन प्रशासन से नए निवेश, तकनीक और हथियार मिल रहे हैं, लेकिन उसने अपनी स्वायत्तता नहीं खोई है। रूस में पूर्व राजदूत और भारत सरकार में उप राष्ट्रीय सलाहकार पंकज सरन ने अमेरिका के लुभाए जाने के बावजूद भारत की विदेश नीति में रूसी झुकाव को स्पष्ट किया है।